संस्कृत, विभाग
15 नवम्बर, 1972 अक्षय नवमी तिथि के शुभ दिन महाराज बलवन्त सिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय की स्थापना हुई। महाविद्यालय के कला संकाय में प्रथम सत्र जुलाई 1978 में प्रारम्भ हुआ, जिसमें 25 छात्रों ने प्रवेश किया। विभाग में सर्वप्रथम श्री प्रभुदयाल जी की प्रवक्ता पद पर नियुक्ति हुई, जिनकी नियुक्ति की तिथि 15.09.1973 थी। श्री प्रभुदयाल जी का कार्यकाल फरवरी 1986 तक था। इनके पश्चात् श्री परशुराम राय जी की नियुक्ति 15.03.1986 को संस्कृत विभाग में की गई। तत्पश्चात् डाॅ0 अरविन्द प्रबोध मिश्रा की नियुक्ति 11.03.1987 को प्रवक्ता-संस्कृत पद पर की गई। इसके बाद 22.08.1989 को डाॅ0 पुष्पा देवी की नियुक्ति संस्कृत-विभाग में प्रवक्ता पद पर हुई। आपने लगभग 30 वर्षों तक महाविद्यालय में अपनी सेवा प्रदान की। आपने महाविद्यालय में सत्र 2013-14 और 2016-18 में प्राचार्य पद को भी सुशोभित किया। महाविद्यालय में संस्कृत स्नातकोत्तर की मान्यता सत्र 2005-06 में हुई जो वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय, जौनपुर से स्ववित्तपोषित योजना के अन्तर्गत थी। 2006-07 में स्नातकोत्तर-संस्कृत विभाग में डाॅ0 अन्जना, डाॅ0 अनुराधा सिंह और डाॅ0 अर्चना श्रीवास्तव का स्ववित्तपोषित योजना के अन्तर्गत ही अनुमोदन प्रदान किया गया। डाॅ0 पुष्पा देवी का संस्कृत विभाग से नवम्बर 2018 में सेवा निवृत्त होने के आपके रिक्त स्थान पर डाॅ0 अभिषेक अग्निहोत्री का चयन हुआ। जो उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग द्वारा विज्ञापन संख्या-51 के अन्तर्गत स्थायी पद पर है। डाॅ0 अभिषेक अग्निहोत्री ने 07 जून 2022 को महाविद्यालय में कार्यभार ग्रहण किया।
संस्कृत विभाग में अनेक छात्र/छात्राएँ अध्ययनोंपरान्त शिक्षा जगत में अध्यापन कार्य में संलग्न है। सत्र-2020 परास्नातक का छात्र राजकुमार वर्तमान में अध्यापक पद पर आसीन है। महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के संस्कृत विषय में सर्वोच्च दस की सूची में सत्र-2020 में परास्नातक के तीन छात्र/छात्राओं का नाम था, जो कु0 सपना गौतम, सताक्षी और राजकुमार है। सत्र-2022 में भी सर्वोच्च दस की सूची में दो छात्राएँ शामिल हैं, जिनका नाम खुशबू और दिव्यांशी है।
विभाग के परास्नातक सत्र-2022-23 में प्रथम सेमेस्टर की छात्र संख्या-30 और तृतीय सेमेस्टर में 17 है। संस्कृत विभाग के द्वारा 03 दिसम्बर 2022 को गीता जयन्ती के शुभ अवसर पर अखिल भारतीय श्रीमद्भगवतगीता व्याख्यान का आयोजन गंगापुर, परिसर में किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि प्रो0 विन्ध्येश्वरी प्रसाद मिश्र थे। तत्पश्चात् दिनांक 28 फरवरी 2023 को एकल व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रो0 चन्द्रकान्ता राय थी। व्याख्यान का विषय ‘‘भारतीय संस्कृति के पोषक संस्कृत साहित्य’’ था। विभाग में प्रत्येक माह में परास्नातक छात्र/छात्राओं के लिए शैक्षिक संगोष्ठी का भी आयोजन व्यवस्थित रूप से संचालित है।
संस्कृत विभाग:- परास्नातक एम0ए0
डाॅ0 अर्चना श्रीवास्तव
असिस्टेंट प्रोफेसर (परास्नातक)
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डाॅ0 अनुराधा सिंह
असिस्टेंट प्रोफेसर (परास्नातक)
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डाॅ0 अभिषेक अग्निहोत्री
असिस्टेंट प्रोफेसर (अनुदानित)
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1. डाॅ0 अर्चना श्रीवास्तव - असिस्टेंट प्रोफेसर (परास्नातक)
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शैक्षणिक योग्यता : एम0ए0 (संस्कृत), पी-एच.डी.(2000, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी)
विशेषज्ञता का क्षेत्र : संस्कृत साहित्य
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2.डाॅ0 अनुराधा सिंह - असिस्टेंट प्रोफेसर (परास्नातक)
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प्रशासनिक उत्तरदायित्व : सदस्य-क्रीड़ा समिति
शैक्षणिक योग्यता : एम0ए0 (संस्कृत), यू.जी.सी. नेट,
पी.एच.डी.(2005, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी)
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3. डाॅ0 अंजना - असिस्टेंट प्रोफेसर (परास्नातक)
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शैक्षणिक योग्यता : एम0ए0 (संस्कृत),
पी-एच.डी.(2005, सम्पूर्णांनन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी)
विशेषज्ञता का क्षेत्र : भारतीय दर्शन
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4. डाॅ0 अभिषेक अग्निहोत्री - असिस्टेंट प्रोफेसर (अनुदानित)
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प्रशासनिक उत्तरदायित्व : सदस्य-पत्रिका समिति, मीडिया समिति, प्रभारी रोवर्स।
शैक्षणिक योग्यता : एम0ए0 (संस्कृत), यू.जी.सी. नेट/जे.आर.एफ.
पी-एच.डी.(2019, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद)
विशेषज्ञता का क्षेत्र : दर्शन एवं वेद।
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